Wednesday, September 28, 2011

हम चिरागों की तरह जलते रहे ...



तकाजा है वक्त का तूफां से जूझो
कब तक किनारे किनारे चलोगे ...

-"?"


बिछडा है जो ईक बार मिलते नही देखा,
ईस जख्म को हमने कभी सिलते नही देखा ...
- परवीन शाकिर


राजे दिल कहा जिसे दोस्त समझ कर
ए जफर उसी को हमने जान का दुश्मन पाया ..
- बहादुरशाह जफर

कैसे कैसे हादसे सह्ते रहे
हम चिरागों की तरह जलते रहे ...
-"?"

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