सावन अब बांट रहा ग्रीष्म की तपन,
बदल रहे है मौसम के सभी समीकरण। ........
ધોમ ધખતા તાપ પછી પહેલા પહેલા વરસાદની વાત જ નિરાળી છે ........ વરસાદ એ ઘરમા કે લાયબ્રેરીમા બેસીને વર્ણન કરવાની કે વર્ણન વાચવાની વસ્તુ નથી. એ તો મંદિરમા જેવી શ્રધ્ધાથી પ્રસાદ લેવાય એવી જ શ્રધ્ધાથી ખુલ્લા આકાશમાથી વરસતી પવિત્રતામા મન મૂકીને ભીજાઈ જવાની અદભુત ઘટના છે ..... એ અનુભવવાની વસ્તુ છે... અને આજે અહી એ અદભુત ઘટના ઘટી છે. આઈ મીન ઉનાળાના સખત તડકા પછી આખરે વર્ષારાણીની સવારી આવી જ પહોચી .... સો લેટ્સ સેલીબ્રેટ ..... Happy Monsoon ..... પણ વરસાદના આ આગમનના આનંદમા લખવુ તો શુ લખવુ ?? ........ કંઈક આ જનાબ જેવી જ મુંઝ્વણ થાય છે .....
कुछ जीत लिखूँ या हार लिखूँ..
या दिल का सारा प्यार लिखूँ..
या दिल का सारा प्यार लिखूँ..
कुछ अपनो के ज़ज़बात लिखूँ या सपनो की सौगात लिखूँ..
मै खिलता सुरज आज लिखूँ या चेहरा चाँद गुलाब लिखूँ..
मै खिलता सुरज आज लिखूँ या चेहरा चाँद गुलाब लिखूँ..
वो डूबते सुरज को देखूँ या उगते फूल की सांस लिखूँ..
वो पल मे बीते साल लिखूँ या सादियो लम्बी रात लिखूँ..
वो पल मे बीते साल लिखूँ या सादियो लम्बी रात लिखूँ..
सागर सा गहरा हो जाऊं या अम्बर का विस्तार लिखूँ..
मै तुमको अपने पास लिखूँ या दूरी का ऐहसास लिखूँ..
मै तुमको अपने पास लिखूँ या दूरी का ऐहसास लिखूँ..
वो पहली -पहली प्यास लिखूँ या निश्छल पहला प्यार लिखूँ..
सावन की बारिश मेँ भीगूँ या मैं आंखों की बरसात लिखूँ..
सावन की बारिश मेँ भीगूँ या मैं आंखों की बरसात लिखूँ..
या दिल का सारा प्यार लिखूँ.................
— दिव्य प्रकाश
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रिश्ता उस से इस तरह कुछ मेरा बढ़ने लगा
मैं उसे लिखने लगा तो वो मुझे पढ़ने लगा
मैं उसे लिखने लगा तो वो मुझे पढ़ने लगा
तेरे दर्द का ख़याल मुझ तक आया जो कभी
सावन का बदल मेरी आँख में भरने लगा.....
सावन का बदल मेरी आँख में भरने लगा.....
njoy ...
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