एक बात होटों तक है जो आई नहीं
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जब जब दर्द का बादल छाया, जब गम का साया लहराया
बस आँखों से है झांकती
तुमसे कभी मुझसे कभी
कुछ लब्ज है वो मांगती
जिनको पहन के होटों तक आ जाए वो
आवाज़ की बाहों में बाहें डाल के इठलाये वो
लेकिन जो ये एक बात है एहसास ही एहसास है
खुशबु सी जैसे हवा में है तैरती
खुशबु जो बेआवाज़ है
जिसका पता तुमको भी है, जिसकी खबर मुझको भी है
दुनिया से भी छुपता नहीं, ये जाने कैसा राज है ...तुमसे कभी मुझसे कभी
कुछ लब्ज है वो मांगती
जिनको पहन के होटों तक आ जाए वो
आवाज़ की बाहों में बाहें डाल के इठलाये वो
लेकिन जो ये एक बात है एहसास ही एहसास है
खुशबु सी जैसे हवा में है तैरती
खुशबु जो बेआवाज़ है
जिसका पता तुमको भी है, जिसकी खबर मुझको भी है
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जब जब दर्द का बादल छाया, जब गम का साया लहराया
जब आँसू पलकों तक आया, जब ये तनहा दिल घबराया
हमने दिल को ये समझाया, दिल आखिर तू क्यों रोता है..
दुनिया में युही होता है..
ये जो गहरे सन्नाटे हैं..वक्त ने सब को ही बांटे हैं
थोडा गम है सबका किस्सा..थोड़ी धुप है सब का हिस्सा
आँख तेरी बेकार ही नम है, हर पल एक नया मौसम है
क्यूँ तू ऐसे पल खोता है..दिल आखिर तू क्यूँ रोता है..
- जावेद अख्तर (From the movie Zindagi na Milegi Dubara)
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